Budaun समाचार : न्यूनतम वेतन और कर्मचारी दर्जे की मांग पर अड़ीं आशा-संगिनी,मालवीय मैदान में गरजा आक्रोश..

UP समाचार न्यूज /रिपोर्ट आकाश सक्सेना /खबर बदायूं उत्तर प्रदेश..

बदायूं मालवीय आवास पर  स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयों को अपनी मांग पत्र का ज्ञापन देतीं आशा वर्कर संघ क़ी अध्यक्ष जौली वैश्य व अन्य . फोटो स्त्रोत स्वयं


संक्षेप...

आशा वर्कर्स की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी,न्यूनतम वेतन और कर्मचारी दर्जे की मांग पर अड़ीं आशा-संगिनी,मालवीय मैदान में गरजा आक्रोश स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयों नें लिया आशा वर्करों का ज्ञापन,दिया सरकार तक उनकी मांग पहुंचाने का आश्वासन...


यूपी समाचार न्यूज बदायूं। उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन के आह्वान पर चल रही हड़ताल के दूसरे दिन भी जनपद बदायूं में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी आशा और संगिनी पूरी तरह कार्यबहिष्कार पर रहीं। सोमवार को मालवीय मैदान में बड़ी संख्या में आशा वर्कर्स एकत्र हुईं और धरना देकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। धरना स्थल पर वक्ताओं ने सरकार पर उपेक्षा और शोषण के गंभीर आरोप लगाए।

Advertisment..


यूनियन की जिलाध्यक्ष जौली वैश्य ने कहा कि कोविड काल में जिन आशा कर्मियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा “ग्लोबल लीडर” की संज्ञा दी गई, आज वही कर्मी बदहाल हालात में जीवन यापन को मजबूर हैं। दिन-रात सेवा देने के बावजूद उन्हें सम्मान की जगह अपमान और उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 की तुलना में महंगाई कई गुना बढ़ चुकी है, लेकिन आशा-संगिनियों की प्रोत्साहन राशि में आज तक कोई ठोस सुधार नहीं किया गया।

Advertisment..


जिलाध्यक्ष ने कहा कि ‘स्वस्थ महिला, स्वस्थ परिवार’ का संदेश घर-घर पहुंचाने वाली आशा और संगिनी स्वयं कुपोषण और असुरक्षा का शिकार हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब श्रम और पारिश्रमिक की लूट बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जीवन निर्वाह योग्य भुगतान, सुरक्षित कार्य परिस्थितियां और अधिकार मिलने तक आंदोलन किसी भी कीमत पर वापस नहीं होगा।

Advertisment..


धरने को संबोधित करते हुए जिला सचिव मनीषा ने कहा कि स्वास्थ्य अभियानों के साथ-साथ चुनावी कार्यों, बीएलओ की जिम्मेदारियों और डाटा एंट्री तक का काम आशा-संगिनी पूरी निष्ठा से करती हैं, इसके बावजूद सरकार उन्हें मजदूर का दर्जा देने को भी तैयार नहीं है। उपाध्यक्ष निर्देश ने दुर्घटना में जान गंवाने वाली आशा और संगिनियों के परिजनों को मुआवजा न मिलने का मुद्दा उठाया।

Advertisment..


वक्ताओं ने कहा कि आशा वर्कर्स ऐसी पहली महिला कर्मी हैं जिन्हें मातृत्व अवकाश तक का अधिकार नहीं है। प्रसव के समय भी काम करने का दबाव बनाया जाता है। उन्होंने राज्य कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम वेतन, मातृत्व अवकाश, साप्ताहिक व त्यौहारी अवकाश, ईपीएफ, ग्रेच्युटी और स्वास्थ्य व जीवन बीमा को अपना वैध अधिकार बताया।

Advertisment..


धरने के समापन पर जिलाध्यक्ष जौली वैश्य ने सभी का आभार जताते हुए एकजुट रहने का आह्वान किया और चेतावनी दी कि दमन या उत्पीड़न से नहीं, बल्कि वार्ता और समाधान से ही आंदोलन समाप्त होगा। धरने में ईशरवाटी, मंजू, ज्योति, उर्मिला देवी, राजवती, सुमन, पूनम, रचना, पूजा, कविता, दीपा, शर्मीला देवी, रीना चौहान, कुसुम, प्रीति, प्रीति देवी, रेशमा, गीता, धनवर्ती, लता सहित बड़ी संख्या में आशा-संगिनी मौजूद रहीं।

Advertisment..


आशा वर्करों नें दिया स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियो को ज्ञापन :

मंगलवार को दूसरे दिन आशा वर्करों नें मालवीय आवास पर अपनी मांगों को लेकर धरना जारी रखा जहां उनकी मांगो का ज्ञापन लेने के लिए बदायूं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उनका ज्ञापन लेने मालवीय पर आवास पहुंचे,जहां उनकी मांगो करने के लिए सरकार तक उनकी बात रखने का आश्वासन दिया, इस दौरान एसीएमओ डॉ मोहन झा, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं डी सी पी एम(एनएचएम) अरविन्द राना सहित अन्य अन्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।


23 दिसम्बर को आशा वर्कर लखनऊ देंगी धरना प्रदर्शन...

आशा वर्कर क़ी सगठन में जिला अध्यक्ष जौली वैश्य नें बताया कि हमारा धरना प्रदर्शन यही तक सिमित नहीं रहेगा अगर मांगे पूरी नहीं हुई तो यह धरना 23 दिसम्बर को लखनऊ विधानसभा पर भी किया जायेगा जहां अन्य जनपद से भी आशा वर्कर महिलाएं अपनी मांगो को लेकर एकत्रित होंगी।

Post a Comment

Previous Post Next Post