लखनऊ समाचार : फर्जी आयुष्मान कार्ड का ‘साइबर खेल’: एसटीएफ का छापा, सात दबोचे प्रदेश के अन्य जिलों में भी चल रहे हैं गिरोह..

UP समाचार न्यूज /रिपोर्ट संजय निगम /खबर लखनऊ उत्तर प्रदेश...

आयुष्मान कार्ड फर्जीवाड़ा करने वाले संगठित गिरोह का एसटीएफ ने किया भंडाफोड़ एक कतार में खडे गिरोह के लोग...

संक्षेप..

फर्जी आयुष्मान कार्ड का ‘साइबर खेल’: एसटीएफ का छापा, सात दबोचे प्रदेश के अन्य जिलों में भी चल रहे हैं गिरोह,इलाज के नाम पर करोड़ों की ठगी,आयुष्मान जालसाज गिरोह बेनकाब,दो हजार से ज्यादा बनाये फर्जी कार्ड, सरकार को लगाया चूना करोड़ों का नुकसान नेटवर्क की परतें खोलने में जुटी तीन टीमें..


यूपी समाचार न्यूज, लखनऊ।

आयुष्मान भारत–प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा करने वाले एक संगठित गिरोह का एसटीएफ ने गुरुवार को भंडाफोड़ किया। गिरोह का सरगना साइबर कैफे संचालक निकला, जो साथियों की मदद से अपात्र लोगों के जाली आयुष्मान कार्ड बनवाकर इलाज के नाम पर उनसे रकम वसूलता था। एसटीएफ ने गोमतीनगर विस्तार के खरगापुर इलाके से सरगना समेत सात आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से डिजिटल उपकरण, जाली दस्तावेज, नकदी और कार बरामद की गई है।

एसटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि गिरोह ने दो हजार से अधिक फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाए, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये की चपत लगी। गिरोह के नेटवर्क और कड़ियों तक पहुंचने के लिए तीन अलग-अलग टीमें गठित की गई हैं, जिनकी जांच दिल्ली समेत अन्य राज्यों तक फैली हुई है।

पूछताछ में सरगना चंद्रभान वर्मा ने कबूल किया कि उसने वर्ष 2024 में खरगापुर में साइबर कैफे खोला था। बहन के इलाज के दौरान अस्पताल में आयुष्मान कार्ड बनवाने से जुड़े एक पोस्टर ने उसे इस फर्जीवाड़े का रास्ता दिखाया। पोस्टर पर लिखे नंबर पर संपर्क करने पर बताया गया कि अपात्र व्यक्ति का भी आयुष्मान कार्ड बन सकता है। इसके बाद उसने छह हजार रुपये प्रति कार्ड के हिसाब से यह अवैध धंधा शुरू कर दिया।

जांच में खुलासा हुआ है कि गिरोह एक ऐसे पोर्टल का इस्तेमाल करता था, जिससे पात्र परिवार के मुखिया की ओटीपी प्रक्रिया को बाइपास कर अपात्र व्यक्ति के आधार से ओटीपी लेकर उसे फैमिली में जोड़ दिया जाता था। इसके बाद इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी के माध्यम से कार्ड का एप्रूवल दिलवाया जाता था। इस पूरे खेल में बीमा टीपीए और अन्य एजेंसियों में तैनात कुछ कर्मचारियों की भूमिका भी सामने आई है, जो प्रति कार्ड तय रकम लेकर मंजूरी दिलाते थे।

यह भी सामने आया है कि कुछ अस्पतालों में मिलीभगत के चलते फर्जी आयुष्मान कार्ड की समुचित जांच नहीं होती थी, जिससे लंबे समय तक यह गोरखधंधा चलता रहा। हालांकि एक कार्ड पकड़े जाने के बाद मामला एसटीएफ तक पहुंचा और फिर पूरे गिरोह का पर्दाफाश हो गया।

गिरफ्तार आरोपितों में प्रतापगढ़ के पट्टी स्थित किठौली जलालपुर निवासी सरगना चंद्रभान वर्मा, बाराबंकी निवासी राजेश मिश्रा, सुजीत कनौजिया और सौरभ मौर्या, गाजीपुर के परसपुरा निवासी विश्वजीत सिंह, लखनऊ निवासी रंजीत सिंह तथा इटावा के सैफई स्थित हरनाथ निवासी अंकित यादव शामिल हैं। इनके पास से 12 मोबाइल फोन, पांच लैपटॉप, 129 लोगों के फर्जी दस्तावेज, 70 जाली आयुष्मान कार्ड, 22 एटीएम कार्ड, नकदी और एक कार बरामद की गई है। एसटीएफ अन्य संलिप्त लोगों की तलाश में छापेमारी कर रही है।


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